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Meri Deh Main Paon Sahi Salamat Hain | Shahanshah Alam

मेरी देह में पाँव सही-सलामत हैं | शहंशाह आलम यह उदासी का बीमारी कामारकाट का समय हैतब भी इस उदासी कोइस बीमारी को हराता हूँमैं देखता हूँ इतनी मारकाट के बाद भीमेरी देह मे...

Ghoos Mahatmay | Kaka Hathrasi

घूस माहात्म्य | काका हाथरसीकभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचारऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कारबार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारीमाल तोलते समय न जिसने डंडी मारीकहँ ...

Daant | Nilesh Raghuvanshi

दाँत | नीलेश रघुवंशीगिरने वाले हैं सारे दूधिया दाँत एक-एक करटूटकर ये दाँत जायेंगे कहाँ ?छत पर जाकर फेंकूँ  या गड़ा दूँ ज़मीन मेंछत से फैंकूँगा चुरायेगा आसमानबनायेगा ता...

Gum hai Khud | Nandkishore Acharya

गुम है ख़ुद |  नंदकिशोर आचार्य ऐसी भी होती होगीखोजन कोई खोजी है जिसमेंन कोई लक्ष्यतलाश ख़ुद की तलाश मेंअनवरत है गुमऔर मैं-जिसे खोजी कहते हैं सब-गुम हूँ उस खोज मेंजो कहीं...

Apni Mehfil | Kanhaiya Lal Nandan

अपनी महफ़िल | कन्हैया लाल नंदन  अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझेमैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझेज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिएहो सके तो भरम से निकालो मुझेमोतियों के...

Baad Ki Sambhavnayein Saamne Hain | Dushyant Kumar

बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं / दुष्यंत कुमारबाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,और नदियों के किनारे घर बने हैं ।चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर,इन दरख्तों के बहुत नाज़ुक तने ह...

Suno Bitiya | Suman Keshri

सुनो बिटिया... |  सुमन केशरीसुनो बिटियामैं उड़ती हूँ खिड़की के पारचिड़िया बनतुम देखनाखिलखिलातीताली बजातीउस उजास कोजिसमेंचिड़िया के परसतरंगी हो जाएँ ठीक कहानियों की दुन...

Prem Main Kia Gaya Apradh | Rupam Mishra

प्रेम में किया गया अपराध | रूपम मिश्र प्रेम में किया गया अपराध भी अपराध ही होता है दोस्तपर किसी विधि की किताब में उसका दंड निर्धारण नहीं हुआतुम सुन्दर हो! ये वाक्य स्त...

Kadam Milakar Chalna Hoga | Atal Bihari Vajpayee

क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयीबाधाएँ आती हैं आएँघिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों में हँसते-हँसते,आग लगाकर...

Kewal Main Nahi Hun | Ramdarash Mishra

केवल मैं नहीं हूँ | रामदरश मिश्र तुम्हारे लिए लाता रहारंग-बिरंगे उपहारलैंडस्केपरेडियोटी.वी.वीडियो-गेम्सफ्रीजतरह-तरह के फर्नीचरऔर न जाने कितने-कितने उपकरण साज-सज्जा के ...

Chamba Ki Dhoop | Kumar Vikal

चम्बा की धूप | कुमार विकलठहरो भाई,धूप अभी आयेगीइतने आतुर क्यों होआख़िर यह चम्बा की धूप हैएक पहाड़ी गायआराम से आयेगीयहीं कहीं चौग़ान में घास चरेगीगद्दी महिलाओं के संग स...

Bheegna | Prashant Purohit

भीगना | प्रशांत पुरोहित जब सड़क इतनी भीगी है तो मिट्टी कितनी गीली होगी,जब बाप की आँखें नम हैं, तो ममता कितनी सीली होगी। जेब-जेब ढूँढ़ रहा हूँ माचिस की ख़ाली डिब्बी लेक...

Jeevan | Agyeya

जीवन | अज्ञेयचाबुक खाएभागा जातासागर-तीरेमुँह लटकाएमानो धरे लकीरजमे खारे झागों की—रिरियाता कुत्ता यहपूँछ लड़खड़ाती टांगों के बीच दबाए।कटा हुआजाने-पहचाने सब कुछ सेइस सूख...

Vaapsi | Ashok Vajpeyi

वापसी | अशोक वाजपेयी जब हम वापस आएँगेतो पहचाने न जाएँगे-हो सकता है हम लौटेंपक्षी की तरहऔर तुम्हारी बगिया के किसी नीम पर बसेरा करेंफिर जब तुम्हारे बरामदे के पंखे के ऊपर...

Gaon Gaya Tha Main | Vishwanath Prasad Tiwari

गाँव गया था मैं | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गाँव गया था मैंमेरे सामने कल्हारे हुए चने-सा आया गाँवअफसर नहीं था मैंन राजधानी का जबड़ामुझे स्वाद नहीं मिलायुवतियों के खुले उर...

Zindagi Se Yehi Gila Hai Mujhe | Ahmed Faraz

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे | फ़राज़ज़िन्दगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझेहमसफ़र चाहिये हुजूम नहींइक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझेतू मोहब्बत से कोई चाल...

Pukar | Kedarnath Aggarwal

पुकार | केदारनाथ अग्रवालऐ इन्सानों!आँधी के झूले पर झूलोआग बबूला बन कर फूलोकुरबानी करने को झूमोलाल सवेरे का मूँह चूमोऐ इन्सानों ओस न चाटोअपने हाथों पर्वत काटोपथ की नदिय...

Vo Ped | Shashiprabha Tiwari

वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारीतुमने घर के आंगन में आम के गाछ को रोपा थातुम उसी के नीचे बैठ कर समय गुज़ारते थे उसकी छांव में  लोगों के सुख दुख सुनते थे उस पेड़ के डाल के पत्त...

Dua Sab Karte Aaye Hain | Firaaq Gorakhpuri

दुआ सब करते आए हैं | फ़िराक़ गोरखपुरीदुआ सब करते आए हैं दुआ से कुछ हुआ भी होदुखी दुनिया में बन्दे अनगिनत कोई ख़ुदा भी होकहाँ वो ख़ल्वतें दिन रात की और अब ये आलम है।कि जब...

Pyar Mein Chidiya | Kuldeep Kumar

प्यार में चिड़िया | कुलदीप कुमारएक चिड़ियाअपने नन्हे पंखों मेंभरना चाहती हैआसमानवह प्यार करती हैआसमान से नहींअपने पंखों सेएक दिन उसके पंख झड़ जायेंगेऔरवह प्यार करना भू...

Koi Hans Raha Hai Koi Ro Raha Hai | Akbar Allahabadi

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है | अकबर इलाहाबादीकोई हँस रहा है कोई रो रहा हैकोई पा रहा है कोई खो रहा हैकोई ताक में है किसी को है गफ़लतकोई जागता है कोई सो रहा हैकहीँ नाउम्...

Ladki Ne Darna Chhor Diya | Sheoraj Singh 'Bechain'

लड़की ने डरना छोड़ दिया | डॉ श्यौराज सिंह बेचैन लड़की ने डरना छोड़ दियाअक्षर के जादू नेउस पर असर बड़ा बेजोड़ किया,चुप्पा रहना छोड़दिया, लड़की ने डरना छोड़ दिया।हंसकर पान...

Doosre Log | Manglesh Dabral

दूसरे लोग | मंगलेश डबराल दूसरे लोग भी पेड़ों और बादलों से प्यार करते हैंवे भी चाहते हैं कि रात में फूल न तोड़े जाएँउन्हें भी नहाना पसन्द है एक नदी उन्हें सुन्दर लगती ह...

Vah Chehra | Kuldeep Kumar

वह चेहरा | कुलदीप कुमारआज फिर दिखीं वे आँखेंकिसी और माथे के नीचेवैसी ही गहरी काली उदासफिर कहीं दिखे वे सांवले होंठअपनी ख़ामोशी में अकेलेकिन्हीं और आँखों के तलेझलकी पार...

Tumhari Kavita | Prashant Purohit

तुम्हारी कविता | प्रशांत पुरोहित तुम्हारी कविता में उसकी काली आँखें थीं-कालिमा किसकी-पुतली की,भँवों की,कोर की,या काजल-घुले आँसुओं की झिलमिलाती झील की?तुम्हारी ग़ज़ल मे...

Nadiyan | Alok Dhanwa

नदियाँ | आलोक धन्वाइछामती और मेघनामहानंदारावी और झेलमगंगा गोदावरीनर्मदा और घाघरानाम लेते हुए भी तकलीफ़ होती हैउनसे उतनी ही मुलाक़ात होती हैजितनी वे रास्ते में आ जाती ह...

Pani Ek Roshni Hai | Kedarnath Singh

पानी एक रोशनी है। केदारनाथ सिंहइन्तज़ार मत करोजो कहना हो कह डालोक्योंकि हो सकता है फिर कहने काकोई अर्थ न रह जाएसोचोजहाँ खड़े हो, वहीं से सोचोचाहे राख से ही शुरू करोमगर...

Ma | Uttima Keshari

माँ | उत्तिमा केशरीमाँ आसनी पर बैठकर जबएकाकी होकरबाँचती है रामायणतब उनके स्निग्धज्योतिर्मय नयनभीग उठते हैं बार-बार ।माँ जब ज्योत्सना भरी रात्रि मेंसुनाती है अपने पुरखो...

Andhere Ki Bhi Hoti Hai Ek Vyavastha | Anupam Singh

अँधेरे की भी होती है एक व्यवस्था | अनुपम सिंह अँधेरे की भी होती है एक व्यवस्थाचीज़ें गतिमान रहती हैं अपनी जगहों परबादल गरजते हैं कहीं टूट पड़ती हैं बिजलियाँबारिश अँधेरे...

Achha Tha Agar Zakhm Na Bharte Koi Din Aur | Faraz

अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और | फ़राज़अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन औरउस कू-ए-मलामत में गुज़रते कोई दिन औररातों के तेरी यादों के खुर्शीद उभरतेआँखों में सितार...

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