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Vah Jan Mare Nahi Marega | Kedarnath Agarwal
वह जन मारे नहीं मरेगा | केदारनाथ अग्रवाल जो जीवन की धूल चाटकर बड़ा हुआ है,तूफानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है,जिसने सोने को खोदा, लोहा मोड़ा है,जो रवि के रथ का घोड़ा है...
Ma Ki Zindagi | Suman Keshari
माँ की ज़िन्दगी | सुमन केशरीचाँद को निहारतीकहा करती थी माँवे भी क्या दिन थेजब चाँदनी के उजास मेंजाने तो कितनी बार सीए थे मैंनेतुम्हारे पिताजी का कुर्तेकाढ़े थे रूमालअप...
Mujhe Prem Chahiye | Nilesh Raghuvanshi
मुझे प्रेम चाहिए | नीलेश रघुवंशी मुझे प्रेम चाहिएघनघोर बारिश-सा ।कड़कती धूप में घनी छाँव-साठिठुरती ठंड में अलाव-सा प्रेम चाहिए मुझे।उग आये पौधों और लबालब नदियों-सादूर ...
Stree | Sushila Takbhore
स्त्री | सुशीला टाकभौरेएक स्त्रीजब भी कोई कोशिश करती हैलिखने की बोलने की समझने कीसदा भयभीत-सी रहती हैमानो पहरेदारी करता हुआकोई सिर पर सवार होपहरेदारजैसे एक मज़दूर औरत क...
Marne Ki Fursat | Anamika
मरने की फ़ुरसत | अनामिकाईसा मसीहऔरत नहीं थेवरना मासिक धर्म ग्यारह बरस की उमर से उनको ठिठकाए ही रखता देवालय के बाहर!बेथलेहम और यरूशलम के बीच कठिन सफ़र में उनके हो जाते क...
Kab Laut Ke Aaoge | Salman Akhtar
कब लौट के आओगे बता क्यों नहीं देते | सलमान अख़्तरकब लौट के आओगे बता क्यों नहीं देतेदीवार बहानों की गिरा क्यों नहीं देतेतुम पास हो मेरे तो पता क्यों नहीं चलतातुम दूर हो...
Anupasthit Upasthit | Rajesh Joshi
अनुपस्थित-उपस्थित | राजेश जोशी मैं अक्सर अपनी चाबियाँ खो देता हूँछाता मैं कहीं छोड़ आता हूँऔर तर-ब-तर होकर घर लौटता हूँअपना चश्मा तो मैं कई बार खो चुका हूँपता नहीं किस...
Dada Ki Tasveer | Manglesh Dabral
दादा की तस्वीर | मंगलेश डबराल दादा को तस्वीरें खिंचवाने का शौक़ नहीं थाया उन्हें समय नहीं मिलाउनकी सिर्फ़ एक तस्वीर गन्दी पुरानी दीवार पर टँगी हैवे शान्त और गम्भीर बैठ...
Andhere Ka Safar | Ramanath Awasthi
अँधेरे का सफ़र मेरे लिए है | रमानाथ अवस्थीतुम्हारी चाँंदनी का क्या करूँ मैंअँधेरे का सफ़र मेरे लिए है।किसी गुमनाम के दुख-सा अनजाना है सफ़र मेरापहाड़ी शाम-सा तुमने मुझ...
Naya Sach Rachne | Nandkishore Acharya
नया सच रचने | नंदकिशोर आचार्यपत्तों का झर जानाशिशिर नहींजड़ों मेंयह सपनों कीकसमसाहट है-अपने लिएनया सच रचने कीख़ातिर-झूठ हो जाता है जोखुद झर जाता है।
Aatma | Anju Sharma
आत्मा | अंजू शर्मामैं सिर्फएक देह नहीं हूँ,देह के पिंजरे में कैदएक मुक्ति की कामना में लीनआत्मा हूँ,नृत्यरत हूँ निरंतर,बांधे हुए सलीके के घुँघरू,लौटा सकती हूँ मैं अब द...
Ladki | Anju Sharma
लड़की | अंजू शर्माएक दिन समटते हुए अपने खालीपन कोमैंने ढूँढा था उस लड़की को,जो भागती थी तितलियों के पीछेसँभालते हुए अपने दुपट्टे कोफिर खो जाया करती थीकिताबों के पीछे,ग...
Tumne Is Talaab Mein | Dushyant Kumar
तुमने इस तालाब में | दुष्यंत कुमार तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिएछोटी-छोटी मछलियाँ चारा बनाकर फेंक दीं।तुम ही खा लेते सुबह को भूख लगती है बहुत,तुमने बासी रोटिया...
Jantar Mantar | Arunabh Saurabh
जंतर-मंतर | अरुणाभ सौरभ लाल - दीवारोंऔर झरोखे परसरसराते दिन मेंसीढ़ी-सीढ़ी नाप रहे होजंतर-मतर परबोल कबूतरमैंना बोली फुदक-फुदककरबड़ी जालिम है।जंतर-मंतरमॉँगन से कछू मिले...
Padhiye Gita | Raghuvir Sahay
पढ़िए गीता | रघुवीर सहायपढ़िए गीताबनिए सीताफिर इन सब में लगा पलीताकिसी मूर्ख की हो परिणीतानिज घर-बार बसाइएहोंय कैँटीलीआँखें गीलीलकड़ी सीली, तबियत ढीलीघर की सबसे बड़ी प...
Saathi | Kedarnath Agarwal
साथी | केदारनाथ अग्रवालझूठ नहीं सच होगा साथी।गढ़ने को जो चाहे गढ़ लेमढ़ने को जो चाहे मढ़ लेशासन के सी रूप बदल लेराम बना रावण सा चल लेझूठ नहीं सच होगा साथी!करने को जो चाहे...
Milna Tha Itefaaq Bichadna Naseeb Tha | Anjum Rehbar
मिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब था | अंजुम रहबरमिलना था इत्तिफ़ाक़ बिछड़ना नसीब थावो उतनी दूर हो गया जितना क़रीब थामैं उस को देखने को तरसती ही रह गईजिस शख़्स की हथेली...
Pooch Rahe Ho Kya Abhaav Hai | Shailendra
पूछ रहे हो क्या अभाव है | शैलेन्द्रपूछ रहे हो क्या अभाव हैतन है केवल, प्राण कहाँ है ?डूबा-डूबा सा अन्तर हैयह बिखरी-सी भाव लहर है,अस्फुट मेरे स्वर हैं लेकिनमेरे जीवन के...
Raakh | Arun Kamal
राख | अरुण कमलशायद यह रुक जातासही साइत पर बोला गया शब्दसही वक्त पर कन्धे पर रखा हाथसही समय किसी मोड़ पर इंतज़ारशायद रुक जाती मौतओफ! बार बार लगता है मैंने जैसे उसे ठीक स...
Tumko Bhula Rahi Thi Ki Tum Yaad Aa Gaye | Anjum Rehbar
तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए | अंजुम रहबरतुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गएमैं ज़हर खा रही थी कि तुम याद आ गएकल मेरी एक प्यारी सहेली किताब मेंइक ख़त छुपा रही थी ...
Tumhari Jaati Kya Hai? | Kumar Ambuj
तुम्हारी जाति क्या है? | कुमार अंबुजतुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?तुम किस-किस के हाथ का खाना खा सकते होऔर पी सकते हो किसके हाथ का पानीचुनाव में देते हो किस समुदाय ...
Ankur | Ibbar Rabbi
अँकुर | इब्बार रब्बीअँकुर जब सिर उठाता हैज़मीन की छत फोड़ गिराता हैवह जब अन्धेरे में अंगड़ाता हैमिट्टी का कलेजा फट जाता हैहरी छतरियों की तन जाती है कतारछापामारों के दस...
Bachcha | Ramdarash Mishra
बच्चा | रामदरश मिश्रा हम बच्चे से खेलते हैं।हम बच्चे की आँखों में झाँकते हैं।वह हमारी आँखों में झाँकता हैहमारी आँखों मेंउसकी आँखों की मासूम परछाइयाँ गिरती हैंऔर उसकी आ...
Pita | Vinay Kumar Singh
पिता | विनय कुमार सिंह ख़ामोशी से सो रहे पिता कीफैली खुरदुरी हथेली को छूकर देखाउन हथेलियों की रेखाएं लगभग अदृश्य हो चली थीं फिर उन हथेलियों को देखते समय नज़र अपनी हथेल...
Mann Ke Jheel Mein | Shashiprabha Tiwari
मन के झील में | शशिप्रभा तिवारीआज फिर तुम्हारे मन के झील की परिक्रमा कर रही हूं धीरे-धीरे यादों की पगडंडी पर गुज़रते हुए वह पीपल का पुराना पेड़ याद आया उसके छांव में ...
Laut ti Sabhyatayein | Anjana Tandon
लौटती सभ्यताएँ | अंजना टंडनविश्वास की गर्दन प्रायःलटकती है संदेह की कीलों पर,“कहीं कुछ तो है” का भाव दरअसलदिमाग की दबी आवाज़ हैजो अक्सर छोड़ देती हैप्रशंसा में भी कितनी...
Tum Aurat Ho | Parul Chandra
तुम औरत हो | पारुल चंद्राक्योंकि किसी ने कहा है, कि बहुत बोलती हो,तो चुप हो जाना तुम उन सबके लिए...ख़ामोशियों से खेलना और अंधेरों में खो जाना, समेट लेना अपनी ख़्वाहिशें,...
Ishwar Tumhari Madad Chahta Hai | Vishwanath Prasad Tiwari
ईश्वर तुम्हारी मदद चाहता है | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बदल सकता है धरती का रंगबदल सकता है चट्टानों का रूपबदल सकती है नदियों की दिशाबदल सकती है मौसम की गतिईश्वर तुम्हारी ...
Meri Beti | Ibbar Rabbi
मेरी बेटी | इब्बार रब्बीमेरी बेटी बनती हैमैडमबच्चों को डाँटती जो दीवार हैफूटे बरसाती मेज़ कुर्सी पलंग परनाक पर रख चश्मा सरकाती(जो वहाँ नहीं है)मोहनकुमारशैलेशसुप्रियाकन...
Mukti | Kedarnath Singh
मुक्ति | केदारनाथ सिंहमुक्ति का जब कोई रास्ता नहीं मिलामैं लिखने बैठ गया हूँमैं लिखना चाहता हूँ 'पेड़'यह जानते हुए कि लिखना पेड़ हो जाना हैमैं लिखना चाहती हूँ ‘पानी’'आद...