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Pratham Milan | Adnan Kafeel Darwesh
प्रथम मिलन | अदनान कफ़ील दरवेश एक दिन भाषा की चमकीली चप्पल उतार कर आऊँगा तुम से मिलने अपने प्रथम मिलन में मैं अधिक बोलने से परहेज़ करूँगा और अपनी आत्मा का हर बोझ उतार कर...
Tumhare Baare Mein | Bhawani Prasad Mishra
तुम्हारे बारे में | भवानी प्रसाद मिश्रतुम्हारे बारे में,तुमसे ही कहूँतुम्हें देखकर बढ़ जाती हैमशालों की ज्योतिमोती हो जाता हैज़्यादा पानी दारआभार-सा मानता हैंहर प्रकाश क...
Swapn Me Bhi Swapn Ke Bahar | Adnan Kafeel Darwesh
स्वप्न में भी स्वप्न के बाहर | अदनान कफ़ील दरवेश सोचो तोघर भी एक गुल्लक है।जिसमें बजते हैंतरल-ठोस दिनखड़-खड़ उदास...कागज़ हैं दीवारेंजिन्हें सोख लिया हैढेर सारे समय का ब...
Samaj Unhe Mardana Kehta Hai | Ekta Verma
समाज उन्हें मर्दाना कहता है | एकता वर्मा जो राजाओं के युद्ध से लौटने का इन्तिज़ार नहीं करती उनके पीछे जौहर नहीं करती बल्कि निकलती हैं संतान को पीठ पर बाँध कर तलवार खींच...
Churchgate Ka Platform | Anup Sethi
चर्चगेट का प्लेट्फॉर्म | अनूप सेठीशाम के समय जब प्लेटफॉर्म बहुत व्यस्त होता हैढलती धूप के चौकोर टुकड़ेपैरों से खचाखच भरते जाते हैंरीत जाते हैं फिर भर जाते हैंदीवारों प...
Deh | Devi Prasad Mishra
देह | देवी प्रसाद मिश्रदेह प्रेम के काम आती है।वह यातना देने और सहने के काम आती है।पीटने में जला देने मेंआत्मा को तबाह करने के लिये कई बार राज्य और धर्मदेह को अधीन बन...
Ilahabad | Satyam Tiwari | Satyam Tiwari
इलाहबाद | सत्यम तिवारी तय तो यही हुआ था घोर असहमति के साथ जब भी वर्षा होगी हम यात्रा पर निकलेंगे असबाब उतना ही रहेगा जितना एक नाव पर सिमट आए भटकाव की सहूलत मिलेगी और ...
Todna Aur Banana | Priyadarshan
तोड़ना और बनाना | प्रियदर्शनबनाने में कुछ जाता हैनष्ट करने में नहींबनाने में मेहनत लगती है. बुद्धि लगती है, वक्त लगता हैतोड़ने में बस थोड़ी सी ताकतऔर थोड़े से मंसूबे ल...
Prashn | Kunwar Narayan
प्रश्न | कुँवार नारायणतारों की अंध गलियों में गूँजता हुआ उद्दंड उपहास... वह मेरा प्रश्न हैविशाल आडंबर,अभी चुभती दृष्टि की गर्म खोज में मैंने प्रश्नाहत जिस विराट हिमपुर...
Mom Ka Ghoda | Dushyant Kumar
मोम का घोड़ा | दुष्यंत कुमारमैने यह मोम का घोड़ा,बड़े जतन से जोड़ा,रक्त की बूँदों से पालकरसपनों में ढालकरबड़ा किया,फिर इसमें प्यास और स्पंदनगायन और क्रंदनसब कुछ भर दिय...
Ant Mein | Sarveshwar Dayal Saxena
अन्त में | सर्वेश्वरदयाल सक्सेनाअब मैं कुछ कहना नहीं चाहता,सुनना चाहता हूँएक समर्थ सच्ची आवाज़यदि कहीं हो।अन्यथाइसके पूर्व किमेरा हर कथनहर मंथनहर अभिव्यक्तिशून्य से टक...
Dhoomil Ki Antim Kavita | Dhoomil
धूमिल की अंतिम कविता | धूमिलशब्द किस तरहकविता बनते हैंइसे देखोअक्षरों के बीच गिरे हुएआदमी को पढ़ोक्या तुमने सुना कि यहलोहे की आवाज़ है यामिट्टी में गिरे हुए ख़ूनका रंगल...
Jaane Kis Kiska Khayal Aaya Hai | Dushyant Kumar
जाने किस-किसका ख़्याल आया है | दुष्यंत कुमारजाने किस—किसका ख़्याल आया हैइस समंदर में उबाल आया हैएक बच्चा था हवा का झोंकासाफ़ पानी को खंगाल आया हैएक ढेला तो वहीं अटका...
Shahadat | Sunil Jha
शहादत | सुनील झाफूल, रास्तेभीड़नज़ारे सारेतुम्हारे लिएऔर, तुम हो कि चुप हो...न सलामन दुआऐसे भी कोई घर आता है भला!
Amarta | Devi Prasad Mishra
अमरता | देवी प्रसाद मिश्रबहुत हुआ तो मैं बीस साल बाद मर जाऊँगामेरी कविताएँ कितने साल बाद मरेंगी कहा नहीं जा सकता हो सकता है वे मेरे मरने के पहले ही मर जाएँ और तानाशाहो...
Vasantsena | Shrikant Verma
वसंतसेना | श्रीकांत वर्मासीढ़ियाँ चढ़ रही हैवसंतसेनाअभी तुम न समझोगीवसंतसेनाअभी तुम युवा होसीढ़ियाँ समाप्त नहींहोतीउन्नति की होंअथवाअवनति कीआगमन की होंयाप्रस्थान कीअथ...
Din Ghatenge | Dinesh Singh
दिन घटेंगे | दिनेश सिंहजनम के सिरजे हुए दुखउम्र बन-बनकर कटेंगेज़िन्दगी के दिन घटेंगेकुआँ अन्धा बिना पानीघूमती यादें पुरानीप्यास का होना वसन्तीतितलियों से छेड़खानीझरे फ...
Akalmandi Aur Moorkhta | Shubha
अकलमंदी और मूर्खता | शुभास्त्रियों की मूर्खता को पहचानते हुएपुरुषों की अक्लमंदी को भी पहचाना जा सकता हैइस बात को उलटी तरह भी कहा जा सकता हैपुरुषों की मूर्खताओं को पहचा...
Bhool Bhulaiyya | Shraddha Upadhyay
भूल-भूलैया | श्रद्धा उपाध्यायहम सबसे पहले मिलेंगे दिल्ली में घुमते बेमक़सद क़दमों में सड़कें तुम्हें घर ले जाएँगी और मुझे भूल-भूलैया में मैं किताबें खरीदूँगी कोई उन्हें ...
Main Gaane Lagta | Dinesh Singh
मैं गाने लगता | दिनेश सिंहअक्सर क्या होता मुझकोजो मन ही मन शर्माने लगतातुम रोती, मैं गाने लगतातुम घर मैं कितना खटती होकितने हिस्सों में बटती होकड़ी धूप-सी सबकी बातेंआर...