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Kaun Ho Tum | Anjana Bakshi

 कौन हो तुम | अंजना बख्शीतंग गलियों से होकरगुज़रता है कोईआहिस्ता-आहिस्ताफटा लिबास ओढ़ेकहता है कोईआहिस्ता-आहिस्तापैरों में नहीं चप्पल उसकेकाँटों भरी सेज परचलता है कोईआह...

Tha Kiska Adhoorapan | Nandkishore Acharya

था किसका अधूरापन | नंदकिशोर आचार्य शुरू में शब्द था केवल'-शब्दजो मौन को आकार देता हैइसलिए मौन को पूर्णकरता हुआउसी से बनी हैयह सृष्टिपर सृष्टि में पूरा हुआ जोथा किसका अ...

Kabaadkhana | Pratibha Saxena

कबाड़खाना | प्रतिभा सक्सेनाहर घर मेंकुछ कुठरियाँ या कोने होते हैं,जहाँ फ़ालतू कबाड़ इकट्ठा रहता है.मेरे मस्तिष्क के कुछ कोनों में भीऐसा ही अँगड़-खंगड़ भरा है!जब भी कुछ...

Baarish Chamatkaar Ki Tarah Hoti Hai | Shahanshah Alam

बारिश चमत्कार की तरह होती है | शहंशाह आलम बारिश चमत्कार की तरह होती हैउसने मुझे यह बात इस तरह बताईजिस तरह कोई अपने भीतर केकिसी चमत्कार के बारे में बताता हैउसने बारिश क...

Ye Bhari Aankhen Tumhari | Kunwar Bechain

ये भरी आँखें तुम्हारी | कुँअर बेचैनजागती हैं रात भर क्यों ये भरी आँखें तुम्हारी! क्या कहीं दिन में तड़पता स्वप्न देखा सुई जैसी चुभ गई क्या हस्त-रेखा बात क्या थी क्यों ...

Zindagi Tere Ghere Mein Rehkar | Sheoraj Singh 'Bechain'

ज़िन्दगी तेरे घेरे में रहकर - श्योराज सिंह 'बेचैन' ज़िन्दगी तेरे घेरे में रहकर क्या करें इस बसेरे में रहकर इस उजाले में दिखता नहीं  कुछ आँख चुंधियाएँ, पलके भीगी सी रहकरअ...

Khali Jagah | Amrita Pritam

ख़ाली जगह | अमृता प्रीतमसिर्फ़ दो रजवाड़े थे –एक ने मुझे और उसेबेदखल किया थाऔर दूसरे कोहम दोनों ने त्याग दिया था।नग्न आकाश के नीचे –मैं कितनी ही देर –तन के मेंह में भी...

Tum Hansi Ho | Agyeya

तुम हँसी हो | अज्ञेयतुम हँसी हो - जो न मेरे होंठ पर दीखे, मुझे हर मोड़ पर मिलती रही है। धूप - मुझ पर जो न छाई हो, किंतु जिसकी ओर मेरे रुद्ध जीवन की कुटी की खिड़कियाँ ख...

Choolhe Ke Paas | Madan Kashyap

चूल्हे के पास  - मदन कश्यप गीली लकड़ियों को फूँक मारतीआँसू और पसीने से लथपथचूल्हे के पास बैठी है औरतहज़ारों-हज़ार बरसों सेधुएँ में डूबी हुईचूल्हे के पास बैठी है औरतजब ...

Koi Aadmi Mamuli Nahi Hota | Kunwar Narayan

कोर्ई आदमी मामूली नहीं होता | कुंवर नारायण अकसर मेरा सामना हो जाताइस आम सचाई सेकि कोई आदमी मामूली नहीं होताकि कोई आदमी ग़ैरमामूली नहीं होताआम तौर पर, आम आदमी ग़ैर होता ह...

Bazaar | Anamika

बाज़ार | अनामिकासुख ढूँढ़ा, गैया के पीछे बछड़े जैसा दुःख चला आया! जीवन के साथ बँधी मृत्यु चली आई! दिन के पीछे डोलती आई रात बाल खोले हुई। प्रेम के पीछे चली आई दाँत पीसत...

Ma | Damodar Khadse

माँ - दामोदर खड़से नदी सदियों से बह रही है इसका संगीत पीढ़ियों को लुभा रहा है आकांक्षाओं और आस्थाओं के संगम पर वह धीमी हो जाती है...उफनती है आकांक्षाओं की पुकार से पीढ़...

Har Taraf Har Jagah Beshumar Aadmi | Nida Fazli

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी  | निदा फ़ाज़लीहर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमीफिर भी तनहाईयों का शिकार आदमीसुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआअपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमीहर तरफ़ भाग...

Baadal Raag | Awadhesh Kumar

बादल राग | अवधेश कुमारबादल इतने ठोस हों कि सिर पटकने को जी चाहे पर्वत कपास की तरह कोमल हों ताकि उन पर सिर टिका कर सो सकें झरने आँसुओं की तरह धाराप्रवाह हों कि उनके माध...

Samay Aur Bachpan | Hemant Deolekar

समय और बचपन - हेमंत देवलेकर उसने मेरी कलाई परटिक टिक करती घड़ी देखीतो मचल उठी वैसी ही घड़ी पाने के लिएउसका जी बहलातेस्थिर समय की एक खिलौना घड़ीबाँध दी उसकी नन्हीं कलाई पर...

Barson Ke Baad | Girija Kumar Mathur

बरसों के बाद | गिरिजा कुमार माथुर बरसों के बाद कभीहम-तुम यदि मिलें कहींदेखें कुछ परिचित-सेलेकिन पहिचाने ना।याद भी न आये नामरूप, रंग, काम, धामसोचें यह संभव हैपर, मन में...

Prem Mein Main Aur Tum | Anshu Kumar

प्रेम में मैं और तुम | अंशू कुमारएक दिन तुम और मैं जब अपनी अपनी धुरी पर लौट रहे होंगे ख़ाली हाथ, बेआवाज़ और बदहवास अपने-अपने हिस्से के सुख और दुःख लिए अब कब मिलेंगे, मि...

Baarish Ya Punyavarsha | Arunabh Saurabh

बारिश या पुण्यवर्षा | अरुणाभ सौरभ धरती पर गिरतीबूँदें बारिश कीछोटी - छोटीये बूँद-बूँद गोलाइयाँधरती को चुंबन हैआकाश काया धरती सेआकाश केमिलने का सबूतया प्यार हैमर मिटनेव...

Jagat Ke Kuchle Hue Path | Harishankar Parsai

जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं? | हरिशंकर परसाईकिसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझकोनहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार मुझकोले निराला मार्ग उस पर सींच जल...

Akaal Aur Uske Baad | Nagarjun

अकाल और उसके बाद | नागार्जुनकई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त कई दिनों तक चूहों की ...

Santaan Saate | Nilesh Raghuvanshi

संतान साते - नीलेश रघुवंशी माँ परिक्रमा कर रही होगी पेड़ कीहम परिक्रमा कर रहे हैं पराये शहर कीजहाँ हमारी इच्छाएँ दबती ही जा रही हैं ।सात पुए और सात पूड़ियाँ थाल में सज...

Jo Hua Vo Hua Kis Liye | Nida Fazli

जो हुआ वो हुआ किसलिए | निदा फ़ाज़लीजो हुआ वो हुआ किसलिएहो गया तो गिला किसलिएकाम तो हैं ज़मीं पर बहुतआसमाँ पर ख़ुदा किसलिएएक ही थी सुकूँ की जगहघर में ये आइना किसलिए

Bachao | Uday Prakash

बचाओ - उदय प्रकाश चिंता करो मूर्द्धन्य 'ष' कीकिसी तरह बचा सको तो बचा लो ‘ङ’देखो, कौन चुरा कर लिये चला जा रहा है खड़ी पाईऔर नागरी के सारे अंकजाने कहाँ चला गया ऋषियों का...

Jab Main Tera Geet Likhne Lagi

जब मैं तेरा गीत लिखने लगी/अमृता प्रीतममेरे शहर ने जब तेरे कदम छुएसितारों की मुट्ठियाँ भरकरआसमान ने निछावर कर दींदिल के घाट पर मेला जुड़ा ,ज्यूँ रातें रेशम की परियांपाँ...

Telephone Par Pita Ki Awaz | Nilesh Raghuvanshi

टेलीफ़ोन पर पिता की आवाज़ - नीलेश रघुवंशी टेलीफ़ोन परथरथराती है पिता की आवाज़दिये की लौ की तरह काँपती-सी।दूर से आती हुईछिपाये बेचैनी और दुख।टेलीफ़ोन के तार से गुज़रती ...

Saamya | Naresh Saxena

साम्य | नरेश सक्सेना समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकरवैसा ही डर लगता हैजैसा रेगिस्तान को देखकरसमुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य हैदोनों ही होते हें विशाललहरों से भरे...

Nani Ki Kahani Mein Devraj Indra | Arunabh Saurabh

नानी की कहानी में देवराज इन्द्र - अरुणाभ सौरभ कठोरतम तप सेकिसी साधक कोमिलने लगेगी सिद्धितो आपका स्वर्ग सिंहासनडोल जाएगा देवराजबचपन में आपसेनानी की कहानियों मेंमिलता रह...

Aakhri Kavita | Imroz

आख़िरी कविता | इमरोज़अनुवाद : अमिया कुँवरजन्म के साथ मेरी क़िस्मत नहीं लिखी गई जवानी में लिखी गई और वह भी कविता में... जो मैंने अब पढ़ी है पर तू क्यों मेरी क़िस्मत कवि...

Kivaad | Kumar Ambuj

किवाड़ | कुमार अम्बुजये सिर्फ़ किवाड़ नहीं हैं जब ये हिलते हैं माँ हिल जाती है और चौकस आँखों से देखती है—‘क्या हुआ?’ मोटी साँकल की चार कड़ियों में एक पूरी उमर और स्मृत...

Likhne Se Hi Likhi Jaati Hai Kavita | Udayan Vajpeyi

लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयीलिखने से ही लिखी जाती है कविता प्रेम भी करने की ही चीज़ है जैसे जंगल सुनने की किताब डूबने की मृत्यु इंतज़ार की जीवन, अपने ...

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