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Hum Milte Hain Bina Mile Hi | Kedarnath Aggarwal

हम मिलते हैं बिना मिले ही  |  केदारनाथ अग्रवालहे मेरी तुम!हम मिलते हैंबिना मिले हीमिलने के एहसास मेंजैसे दुख के भीतरसुख की दबी याद में।हे मेरी तुम!हम जीते हैंबिना जिये...

Kam Se Kam Ek Darwaza | Sudha Arora

कम से कम एक दरवाज़ा  | सुधा अरोड़ाचाहे नक़्क़ाशीदार एंटीक दरवाज़ा होया लकड़ी के चिरे हुए फट्टों से बनाउस पर खूबसूरत हैंडल जड़ा होया लोहे का कुंडावह दरवाज़ा ऐसे घर का होजहाँ...

Suno Kabir | Nasira Sharma

सुनो कबीर ! | नासिरा शर्मा सुनो कबीर, चलो मेरे साथवहाँ जहाँ तुम्हारी प्रताड़ना के बावजूद डूब रहे हैं दोनों पक्षज़रूरत है उन्हें तुम्हारी फटकार कीवह नहीं सुन रहे हैं हम...

Suryasth Ke Aasmaan | Alok Dhanwa

सूर्यास्त के आसमान | आलोक धन्वाउतने सूर्यास्त के उतने आसमानउनके उतने रंगलम्बी सडकों पर शामधीरे बहुत धीरे छा रही शामहोटलों के आसपासखिली हुई रौशनीलोगों की भीड़दूर तक दिख...

Pehle Bachhe Ke Janam Se Pehle

पहले बच्चे के जन्म से पहले | नरेश सक्सेनासाँप के मुँह में दो ज़ुबानें होती हैं।मेरे मुँह में कितनी हैंअपने बच्चे को दुआ किस ज़ुबान से दूँगाखून सनी उँगलियाँझर तो नहीं जाए...

Is Samay | Nilesh Raghuvanshi

इस समय | नीलेश रघुवंशीएक कोने में बिल्ली अपने बच्चों को दूध पिला रही है।छोटे-छोटे बच्चे और बिल्ली इतने सटे हुए हैं आपस मेंमुश्किल है उन्हें गिननाqएक औरतपेड़ में रस्सी ...

Maine Poocha Kya Kar Rahi Ho | Agyeya

मैंने पूछा क्या कर रही हो | अज्ञेय मैंने पूछायह क्या बना रही हो?उसने आँखों से कहाधुआँ पोंछते हुए कहा-मुझे क्या बनाना है! सब-कुछअपने आप बनता है।मैने तो यही जाना है।कह ल...

Gharaunda | Ekta Verma

घरौंदा | एकता वर्मा धूल में नहाए शैतान बच्चेखेल रहे हैं घरौंदा-घरौंदा।जोड़ रहे हैं ईट के टुकडे, पत्थर, सीमेंट के गुटकेबना रहे हैं नन्हे-न्हे घरहँस रहे हैं, तालियाँ पीट...

Ek Bosa | Kaifi Azmi

एक बोसा | कैफ़ी आज़मीजब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों कोसौ चराग अँधेरे में जगमगाने लगते हैंफूल क्या शगूफे क्या चाँद क्या सितारे क्यासब रकीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं...

Ghisi Pencil | Raghuvir Sahay

घिसी पेंसिल | रघुवीर सहाय फिर रात आ रही है।फिर वक्त आ रहा है।जब नींद दुःख दिन कोसंपूर्ण कर चलेंगेएकांत उपस्थत हो, 'सोने चलो' कहेगाक्या चीज़ दे रही है यह शांति इस घड़ी ...

Seekho | Shrinath Singh

सीखो | श्रीनाथ सिंहफूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना!सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना!दूध और पानी से सीख...

Apahij Vyatha | Dushyant Kumar

अपाहिज व्यथा | दुष्यंत कुमार‎अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ,तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ ।ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है,इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ ।अँधेरे में ...

Dhool | Hemant Deolekar

धूल | हेमंत देवलेकर धीरे-धीरे साथ छोड़ने लगते हैं लोगतब उन बेसहारा और यतीम होती चीज़ों कोधूल अपनी पनाह में लेती है।धूल से ज़्यादा करुण और कोई नहींसंसार का सबसे संजीदा अना...

Donon Jahan Teri Mohabbat Me Haar Ke | Faiz Ahmed Faiz

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार केवीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैंतुम क्या...

Berozgaar Hum | Shanti Suman

बेरोज़गार हम / शांति सुमनपिता किसान अनपढ़ माँबेरोज़गार हैं हमजाने राम कहाँ से होगीघर की चिन्ता कमआँगन की तुलसी-सी बढ़तीघर में बहन कुमारीआसमान में चिड़िया-सीउड़ती इच्छा...

Tumse Milkar | Gaurav Tiwari

तुमसे मिलकर | गौरव तिवारी नदी अकेली होती है,पर उतनी नहींजितनी अकेली हो जाती हैसागर से मिलने के बाद।धरा अत्यधिक अकेली होती हैक्षितिज पर,क्योंकि वहाँ मान लिया जाता हैउसक...

Ek Dua | Kaifi Azmi

एक दुआ | कैफ़ी आज़मी अब और क्या तेरा बीमार बाप देगा तुझेबस एक दुआ कि ख़ुदा तुझको कामयाब करेवो टाँक दे तेरे आँचल में चाँद और तारेतू अपने वास्ते जिस को भी इंतख़ाब करे

Ghat ti Hui Oxygen | Manglesh Dabral

घटती हुई ऑक्सीजन | मंगलेश डबरालअकसर पढ़ने में आता हैदुनिया में ऑक्सीजन कम हो रही है।कभी ऐन सामने दिखाई दे जाता है कि वह कितनी तेज़ी से घट रही हैरास्तों पर चलता हूँ खान...

Hum Auratein | Viren Dangwal

हम औरतें | वीरेन डंगवालरक्त से भरा तसला हैरिसता हुआ घर के कोने-अंतरों मेंहम हैं सूजे हुए पपोटेप्यार किए जाने की अभिलाषासब्जी काटते हुए भीपार्क में अपने बच्चों पर निगाह...

Naagrik Parabhav | Kumar Ambuj

नागरिक पराभव | कुमार अम्बुजबहुत पहले से प्रारंभ करूँ तोउससे डरता हूँ जो अत्यंत विनम्र हैकोई भी घटना जिसे क्रोधित नहीं करतीबात-बात में ईश्वर को याद करता है जोबहुत डरता ...

Karun Prem Khud Se | Shivani Sharma

करूँ प्रेम ख़ुद से | शिवानी शर्मा किसी के लिए हूँ मैं ममता की मूरत, किसी के लिए अब भी छोटी सी बेटी llतजुर्बों ने किया संजीदा मुझको , पर किसी के लिए अब भी अल्हड़ सी छोट...

Do Minute Ka Maun | Kedarnath Singh

दो मिनट का मौन | केदारनाथ सिंह भाइयो और बहनों यह दिन डूब रहा है।इस डूबते हुए दिन परदो मिनट का मौनजाते हुए पक्षी पररुके हुए जल परघिरती हुई रात परदो मिनट का मौनजो है उस ...

Bechain Baharon Me Kya Kya Hai | Qateel

बेचैन बहारों में क्या-क्या है / क़तीलबेचैन बहारों में क्या-क्या है जान की ख़ुश्बू आती हैजो फूल महकता है उससे तूफ़ान की ख़ुश्बू आती हैकल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज...

Daud | Ramdarash Mishra

दौड़ | रामदरश मिश्रवह आगे-आगे थामैं उसके पीछे-पीछेमेरे पीछे अनेक लोग थेहाँ, यह दौड़-प्रतिस्पर्धा थीलक्ष्य से कुछ ही दूर पहलेएकाएक उसकी चाल धीमी पड़ गयी और रुक गयामैं आ...

Jaise Jab Se Tara Dekha | Agyeya

जैसे जब से तारा देखा | अज्ञेय क्या दिया-लिया?जैसेजब तारा देखासद्यःउदित—शुक्र, स्वाति, लुब्धक—कभी क्षण-भरयह बिसर गयामैं मिट्टी हूँ;जब से प्यार किया,जब भी उभरा यह बोधकि ...

Saal Mubarak | Asheesh Pandya

साल मुबारक! | आशीष पण्ड्या साल मुबारक!भगवा हो या लाल, मुबारक!साल मुबारक!आज नया कल हुआ पुराना,टिक टिक करता काल मुबारक!पैसे की भूखी दुनिया को,थाल में रोटी-दाल मुबारक!चिं...

Jeevan Bacha Hai Abhi | Shalabh Shriram Singh

जीवन बचा है अभी | शलभ श्रीराम सिंह जीवन बचा है अभीज़मीन के भीतर नमी बरक़रार हैबरकरार है पत्थर के भीतर आगहरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है!जीवन बचा है अभीरोशनी खाकर भ...

Ishwar Ke Bacche | Alok Azad

ईश्वर के बच्चे | आलोक आज़ाद क्या आपनेईश्वर के बच्चों को देखा है?ये अक्सरसीरिया और अफ्रीका के खुले मैदानों मेंधरती से क्षितिज की औरदौड़ लगा रहे होते हैंये अपनी माँ की को...

Sukh Ka Dukh | Bhavani Prasad Mishra

सुख का दुख / भवानीप्रसाद मिश्रज़िन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है,इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है,क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ,बड़े सुख आ जाएँ घर मेंतो कोई ऎसा कमरा नहीं है...

Vah Mujhi Main Hai Bhay | Nandkishore Acharya

वह मुझी में है भय | नंदकिशोर आचार्य एक अनन्त शून्य ही होयदि तुमतो मुझे भय क्यों है ?कुछ है ही नहीं जबजिस पर जा गिरूँचूर-चूर हो छितर जाऊँउड़ जायें मेरे परखच्चेतब क्यों ...

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